Book Title: Samyak Charitra Chintaman
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 15
________________ ( १७ ) बौर- सेवा - मन्दिर ट्रस्टसे उसके मानद मंत्री श्री डॉ० दरबारीलाल जो कोठिया द्वारा सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञानका निरूपण करने वाले सम्यक्त विशामणि और सम्यक्षा-चिन्ताको ग्रन्थ पहले प्रकाशित हो चुके हैं, जो विद्वज्जनोंके द्वारा समोक्षित और समादृत हुए हैं। अब उसी ट्रस्टसे उन्हीं डॉ० कोठियाजीके द्वारा इस सम्यक्चारित्र-चिन्तामणिका भी प्रकाशन हो रहा है। इसको प्रसन्नता है । ग्रन्थका प्रतिपाद्य विषय जिन मुलाचार, मूलाराधना तथा कषायपाहुड आदि सिद्धान्त ग्रन्थोंसे लिया गया है, मैं उनके रचयिताओंका विनीत आभारी हूँ । पद्य रचना और तत्त्व निरूपण में हुई त्रुटियोंके लिये विद्वद्वर्गसे क्षमाप्रार्थी हूँ । इन्हें वे सौहार्दभावसे पढ़ें और सूचित करें कि इसमें आगम के विरुद्ध तो कहीं कुछ नहीं लिखा गया है। तीनों में लगभग साढ़े तीन हजार श्लोकोंकी रचना विविध छन्दोंमें हुई है । यह मेरे जोवन-निर्माता पूज्यवर गणेशप्रसादजी वर्णीके शुभाशीर्वादका हो फल है । ग्रन्थको भूमिका जैनागमके मर्मज्ञ पं० जगन्मोहनलालजी शास्त्रीने लिखनेको कृपा की है । एतदर्थ उनका आभारी हूँ । ग्रन्थका प्रकाशन वीर- सेवा मन्दिर ट्रस्टके मानद मंत्री डॉ० दरबारीलालजी कोठियाके सौजन्य से सम्पन्न हुआ है, अतः उनके प्रति आभार प्रकट करता हूँ । श्री वर्णी दि० जैन गुरुकुल पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर वर्णी जयन्ति-आस्विन कृष्ण ४ वीरनि० २५१४ विनीत पन्नालाल जैन

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