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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
[६१६ बाह्य आत्मा के प्रदेश फैलें, ते प्रदेश एक जीव की अपेक्षा संख्यात योजन प्रमाण तौ लंबा, अर सूच्यंगुल का संख्यातवां भाग प्रमाण चौडा वा ऊंचा क्षेत्र को रोके, सो इसका क्षेत्रफल सख्यात धनांगुल प्रमाण भया । इसकरि जो पूर्व विहारवत्स्वस्थान विष जीवनि का प्रमाण कहा था, ताकौं गुरिगए, तब सर्व जीव सबंधी विहारवत् स्वस्थान विर्षे क्षेत्र का परिमारण होइ । इहां असा अर्थ जानना-जो देवनि के मूल शरीर तौ अन्य क्षेत्र वि तिष्ठ है अर विहार करि विक्रियारूप शरीर अन्य क्षेत्र विर्षे तिष्ठे है । तहा दोऊनिके बीचि आत्मा के प्रदेश सूच्यंगुल का संख्यातवां भाग मात्र प्रदेश ऊंचे, चौडे, फैले है । पर इहां मुख्यता की अपेक्षा संख्यात योजन लंबे कहे है । बहुरि देव अपनी - अपनी इच्छा ते हस्ती, घोटक इत्यादिक रूप विक्रिया करे, ताकी अवगाहना एक जीव की अपेक्षा संख्यात धनांगुल प्रमाण है। इसकरि पूर्व जो वैक्रियिक समुद्घात विष जीवनि का प्रमाण कह्या, ताकौं गुणिए, तब सर्व जीव संबंधी वैक्रियिक समुद्घात विष क्षेत्र का परिमाण होइ ।
बहुरि पीतलेश्यावालेनि विर्षे व्यंतरदेव घने मरै है, तातै इहा व्यतरनि की मुख्यता करि मारणातिक समुद्घात कहिए है । जितना व्यंतर देवनि का प्रमाण है, ताको व्यतरनि की मुख्यपनै दश हजार वर्ष आदि संख्यात वर्ष प्रमाण स्थिति के जेते समय होइ, तिनिका भाग दीएं, जेता प्रमाण आवै, तितना जीव एक समय विप मरण को प्राप्त हो है। बहुरि इनि मरनेवाले जीवनि के पल्य का असख्यातवां भाग का भाग दीजिये, तहा एक भाग प्रमाण जीवनि के ऋजु गति कहिये, समरूप सूधी गति हो है । बहुरि बहुभाग प्रमाण जीवनि के विग्रह गति कहिये, वक्रता लीए परलोक को गति हो है । बहुरि विग्रहगति जीवनि के प्रमाण को पल्य के असख्यातवा भाग का भाग दीजिए, तहा एक भाग प्रमाण जीवनि के मारणातिक समुद्घात न हो है।
बहुरि बहुभाग प्रमाण जीवनि के मारणांतिक समुद्घात हो है । बहुरि इस मारणातिक समुद्घातवाले जीवनि के प्रमाण कौं पल्य का असख्यातवा भाग दीजिए, तहा बहुभाग प्रमाण समीप थोरेसे क्षेत्रवर्ती मारणातिक समुद्घातवाले जीव है । एक भाग प्रमाण दूर बहुत क्षेत्रवर्ती मारणातिक समुद्घातवाले जीव है । सो एक समय विष दूर मारणांतिक समुद्घात करनेवाले जीवनि का यह प्रमाण कह्या, पर मारणातिक समुद्घात का काल अंतर्मुहूर्तमात्र है । तात अंतर्मुहूर्त के जेते समय होहि, तिनकरि तिस प्रमाण को गुणे, जो प्रमाण होइ, तितने एकठे भए, दूर मारणातिक समुद्घातवाले जीव जानने । तहां एक जीव के दूरि मारणांतिक समुद्घात विप