Book Title: Samvayangasutram Author(s): Haribhadrasuri, Publisher: Agamoday Samiti View full book textPage 9
________________ - - धम्मे एगे अधम्मे एगे पुण्णे एगे पावे एगे बंधे एगे मोक्खे एगे आसवे एगे संवरे एगा वेयणा एगा णिजरा १८। जंबुद्दीवे दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते, अप्पइठ्ठाणे नरए एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते, पालए जाणविमाणे एग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते, सव्वद्वसिद्धे महाविमाणे एग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । अदानक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते, चित्तानक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते, सातिनक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए नेरइआणं उक्कोसेणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता, दोच्चाए पुढवीए नेरइयाणं जहन्नेणं एग सागरोवमं ठिई पन्नत्ता, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एग पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, असुरकुमाराणं देवाणं उक्कोसेणं एगं साहियं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता, असुरकुमारिंदवजियाणं भोमिजाणं देवाणं अत्यंगइआणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, असंखिज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अत्थेगइआणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, असंखिजवासाउयगब्भवक्कंतियसंणिमणुयाणं अत्थेगइयाणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, वाणमंतराणं देवाणं उक्कोसेणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, जोइसियाणं देवाणं उक्कोसेणं एग पलिओवमं वाससयसहस्समभहियं ठिई पन्नत्ता, सोहम्मे कप्पे देवाणं जहन्नेणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, सोहम्मे कप्पे देवाणं अत्थेगइआणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता, ईसाणे कप्पे देवाणं जहन्नेणं साइरेगं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, ईसाणे कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता, जे देवा सागरं सुसागरं सागरकंतं भवं मणुं माणुसोत्तरं लोगहियं विमाणं देवत्ताए उववन्ना तेसि णं देवाणं उक्कोसे णं एगं सागरोवमं ठिई पन्नत्ता, ते णं देवा Jain Education InENT For Personal & Private Use Only dilbelibrary.orgPage Navigation
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