Book Title: Sambodh Prakaran Part 03
Author(s): Rajshekharsuri, Dharmshekharvijay
Publisher: Arihant Aradhak Trust

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Page 345
________________ Jain Education International अगीतार्थ । अगीतार्थ अगीतार्थ | निरपेक्षी | आचार्य- | आचार्य- | उपाध्याय | उपाध्याय गीतार्थ 330 ऽस्थित स्थित- | अस्थित निरपेक्षा | कृतकरण | अकृतकरण कृतकरण | अकृतकरण | कृतकरण कृतकरण कृतकरण | कृतकरण समवस्त्र दी दी पारांचिक | अनवस्थाप्य | अनवस्थाप्य मूल अनवस्थाप्य | मूल .ला । मूल | छेद । For Personal & Private Use Only देघुतरंमपउ ।६ लघुतममउ ४। उत्कृष्टापत्तौ लघुउउ१५ उत्कृष्टापत्तौ लघुक गुरुतरं ममउ० उपदार यंत्र ।४।६५ उत्कृष्टापत्तौ गुरुउमंउठउ ।१२।२७। मूल मूल । छेद | छेद । ही । दी। दी ही डी સંબોધ પ્રકરણ २० । www.jainelibrary.org

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