Book Title: Sambhavnath Kalash
Author(s): Rasila Kadia
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ 52 अनुसंधान-२७ टिप्पण: (१) विविध पूजासंग्रह - पृ. ३४ (२) एजन, पृ. ४६ (नोंध : कलशनी प्रारम्भिक पंक्तिओमा 'श्रीसूर्यपुरमंडणो' एवं पद छे, ते उपरथी एम जणाय छे के सूर्यपुर-सूरतना श्रीसंभवनाथ चैत्यने अनुलक्षीने आ कलश रचायो होवो जोईए. -सं.) ज्ञान महोदयकृत (?) संभवनाथकलश ॐ नमः । स्वस्तिश्रियां मंदिरमिइ वंद्य, सम्यक्त्वदेवद्रुमवारिवाहं । रत्नात्रयाराधनपुष्टहेतुं, सस्नपते संभवनाथबिंब ॥१॥ एहवा श्री संभवनाथ, अनाथना नाथ तारण भवजल पाथ, साचो शिवपुरी साथ, सकल मंगलैकनिलय, स्यादवाद विद्याना आलय, भव्यजन मनरंजणो, दुष्टाष्ट कर्मभंजणो, अनादिकालीन विभाव विहंडणो, श्री सूर्यपुरमंडणो- इक्ष्वाकु वंश विभूषणो, श्रीजितारि भूप कुलकमल दिनेश्वर, श्रीसंभवनाथ जिनेश्वर, तेह तणो कलश भणिसुं । (हां रे जिनजननी जिनने ए देशी) श्रीजंबूधीपें दक्षिण भरत मझार तस मध्य खंडे, नयरी सावत्थी सार, राज्य करें श्रीभूप जितारी नाम तस व्या(मा)ता सेना शीलगुणें अभिराम ॥१॥ उवरिमहिट्ठिम वर ग्रैवेयकथी देव फागुण सुदि अष्टमी चवी उपजें ततखेव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8