Book Title: Samaysundar Ras Panchak
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 7
________________ ( २ ) काव्यों में इस अभिप्राय का प्रचुर प्रयोग दृष्टिगोचर होता है। जायसी के पद्मावत में भी इस कथानक-रूढ़ि का प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार मुद्रिका को पानी में खोलकर राजकुमारी पर छिड़कना, उसे पिलाना और उसका सचेत होकर उठ बैठना 'जादू की वस्तुएँ' ( Magical Articles ) नामक प्ररूढ़ि के अन्तर्गत समझना चाहिए। इसी प्रकार अद्भुत कथा जो प्रति दिन खंखेरने पर सौ रुपये देती थी तथा आकाशगामिनी खटोली भी इसी अभिप्राय की निदर्शिका हैं। साँप द्वारा कुमार को कुब्जा और कुरूप बना देना अनायास ही महाभारत के नलोपाख्यान का स्मरण करा देता है, जहाँ कुरूप बना देना विपत्ति-रक्षा के साधन के रूप में गृहीत हुआ है। इस रास में 'मौन भंग' नामक प्ररूढ़ि (Motive) का प्रयोग भी बहुत ही कुतूहलवर्धक हुआ है । वामन थोड़ी-सी कथा कह कर शेष कथा दूसरे दिन पर स्थगित कर देता है, जिससे क्रमशः तीनों स्त्रियाँ बोल उठती हैं। 'वल्कलचीरी' में श्वेत केश की रूढ़ि का प्रयोग हुआ है। रामचरित मानस के दशरथ भी जब हाथ में दर्पण लेकर अपना मुंह देखकर मुकुट को सीधा करते हैं तो उन्हें जान पड़ता है कि उनके कानों के पास बाल सफेद हो गये हैं मानो वे यह उपदेश देते हैं कि अब वृद्धत्व आ गया है-इसलिए हे राजन् ! श्री रामचन्द्रजी को युवराजपद देकर अपने जीवन और जन्म का लाभ क्यों नहीं लेते ? . पा नहा लत ? Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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