Book Title: Samaysara
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ VIII वह व्यवहार हमारे लिए आदर्श है, जो निश्चय से अनुप्राणित है यदि जीना है शान्त, पवित्र एवं सफल जीवन उसका रहस्य सूत्र है --- निश्चय और व्यवहार का संतुलन समस्या यह है हम व्यवहार की दुनिया से अतिपरिचित हैं निश्चय की दुनिया से सर्वथा अपरिचित हैं समयसार : व्यवहार और निश्चय की यात्रा एक समाधान है व्यवहार और निश्चय के संतुलन का अनुपम निधान है — संदेश यही है व्यवहार की दुनिया में निश्चय ओझल न हो जाए निश्चय में रहें, व्यवहार को जीएं पदार्थ में चेतना अटक न जाए पदार्थातीत सत्य का साक्षात् पाएं आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी समारोह का प्रसंग आचार्य श्री विद्यानंद का चिन्तन आचार्य श्री तुलसी का निर्णय युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा उसकी क्रियान्विति । प्रस्तुत है -- समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा ११ अप्रैल १९९१ सी-स्कीम ग्रीन हाऊस, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only मुनि धनंजय कुमार www.jainelibrary.org


Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 178