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वह व्यवहार हमारे लिए आदर्श है, जो निश्चय से अनुप्राणित है यदि जीना है शान्त, पवित्र एवं सफल जीवन उसका रहस्य सूत्र है
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निश्चय और व्यवहार का संतुलन
समस्या यह है
हम व्यवहार की दुनिया से अतिपरिचित हैं निश्चय की दुनिया से सर्वथा अपरिचित हैं
समयसार : व्यवहार और निश्चय की यात्रा एक समाधान है व्यवहार और निश्चय के संतुलन का अनुपम निधान है
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संदेश यही है
व्यवहार की दुनिया में निश्चय ओझल न हो जाए निश्चय में रहें, व्यवहार को जीएं
पदार्थ में चेतना अटक न जाए पदार्थातीत सत्य का साक्षात् पाएं
आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी समारोह का प्रसंग आचार्य श्री विद्यानंद का चिन्तन
आचार्य श्री तुलसी का निर्णय
युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा उसकी क्रियान्विति । प्रस्तुत है
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समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा
११ अप्रैल १९९१ सी-स्कीम
ग्रीन हाऊस, जयपुर
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मुनि धनंजय कुमार
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