Book Title: Samaysara
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 8
________________ संपादकीय समय का मूल्य आके समयसार के संदर्भ में यह घोष उभार रहा है एक नया उद्घोष समय का एक अर्थ है आत्मा अपने अस्तित्व की जीवन्त प्रतिमा आत्मा का मूल्य आंकें अपने अस्तित्व/चैतन्य को जानें समय की सार्थकता है समय के मूल्यांकन में जीवन का सार है उस ओर प्रस्थान में यह सचाई बने व्यक्ति का जीवन- दर्शन इस हेतु प्रस्तुत है महाप्रज्ञ का चिन्तन- मंथन। चैतन्य के प्रति बढ़ती उपेक्षा के वातावरण में पदार्थ की बढ़ती अपेक्षा और आकर्षण में चैतन्य के मूल्य को प्रखरता से प्रस्तुत करने वाला यह ग्रन्थ जिसके रचनाकार हैं चैतन्य के प्रति समर्पित निग्रंथ। यह सच है - व्यवहार जरूरी है जीवन यात्रा को चलाने के लिए सामाजिकता एवं सामाजिक संबंधों को निभाने के लिए इससे भी बड़ा सच हैनिश्चय है व्यवहार को पवित्र बनाए रखने के लिए सामाजिक संबंधों के सफल समायोजन के लिए • निश्चय यदि दर्पण है तो उसका प्रतिबिम्ब है व्यवहार निश्चय यदि आदर्श है तो उसकी कसौटी है व्यवहार प्रतिबिम्ब और कसौटी का जो मूल्य है, आदर्श और दर्पण का उससे भी अधिक मूल्य है हमारे लिए वह निश्चय उपयोगी है, जो व्यवहार में प्रतिबिम्बित है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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