Book Title: Samaysara
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ अनुक्रम اسد م م m ل س : ع م ० १. अपने आपको जानें २. ज्ञान खोल देता है जीवन में नए आयाम ३. बंधन आखिर बंधन है ४. दिन और रात का द्वन्द्व ५. जागरण और नींद का संघर्ष ६. सत्य की खोज के दो दृष्टिकोण ७. कर्म-फल भोगने की कला ८. परिवार के साथ कैसे रहें? ९. शांतिपूर्ण सहवास कैसे? १०. सामंजस्य कैसे बढ़ाएं? ११. परिष्कार करें : लड़ें नहीं १२. ध्यान क्यों करें? १३. मौलिक मनोवृत्तियां १४. वृत्ति परिष्कार का दृष्टिकोण १५. हिंसा का मूल क्या है? १६. आत्मा को कैसे देखें? १७. अपने भाग्य की डोर अपने हाथ में له م ० १०७ ११५ १२३ १३१ १४७ ।१५ १६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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