Book Title: Samayik
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 9
________________ संपादकीय - मन में प्रश्न उठा-सुखी कौन ? क्या वह सुखी है, जिसके पास पर्याप्त संसाधन हैं ? या वह सुखी है, जिसके हाथ में सत्ता और प्रशासन है ? भौतिकता से प्रभावित इस संसार में व्यक्ति खोजता है सुख असार में इसीलिए उभरती है यह भाषा सुख की पदार्थ-प्रतिबद्ध परिभाषा महाप्रज्ञ कहते हैंसुविधा और सुख का सम्बन्ध नहीं है पदार्थ की प्रचुरता है, किन्तु सुख नहीं है पदार्थ की अल्पता है, किन्तु दुःख नहीं है सुखी वह है, जो संतुलित है दुःखी वह है, जो असंतुलित है संतुलन और असंतुलन से जुड़ा है सुख-दुःख का प्रश्न अभाव और अतिभाव का संवेदन संतुलित वह है, जिसने की है सामायिक की आराधना समय-आत्मा में लीन होने की साधना । - अनगित द्वन्द्वों से अपने ही अन्तर्द्वन्द्वों से आक्रान्त और दिग्भ्रान्त झेल रहा है दुःख आज का संभ्रान्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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