Book Title: Samayik
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 10
________________ तनाव से सत्रस्त अशान्ति से ग्रस्त चाहता है मानसिक संतुलन शान्ति और प्रसन्नता का जीवन उसके लिए अमोघ प्रयोग है सामायिक उपलब्ध होगा आनंद आत्मिक निर्द्वन्द्व और निर्विकल्प बन प्रसन्नता का रहस्य पा लेगा चेतन । 0 महाप्रज्ञ का प्रस्तुत सजन अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक सचमुच अध्यात्म का प्रवेशद्वार शांतिमय जीवन का उपहार मिटेगी विषमता पनपेगी समता विषमता का एक निदर्शन है जातिवाद भाषा, वर्ण और संप्रदायवाद इनसे जुड़ी है मनुज की प्रतिबद्धता छीन लेती है सहिष्णुता और समता काला, गोरा, मुस्लिम-ईसाई नहीं लगते हैं भाई-भाई मजहबी कट्टरता बनती है दुःस्वप्न ज्वलंत बन जाता है मानवाधिकार का प्रश्न एक ओर अहं का उत्कर्ष दूसरी ओर हीनता का प्रकर्ष यदि हो जाए सामायिक का अवतरण मानव का अभिनव संस्करण मानव-मानव के बीच फूटेगा मैत्री का बीज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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