Book Title: Samay ke Hastakshar
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jayshree Prakashan Culcutta

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Page 22
________________ दुग्ध में नवनीत पाषाण में प्रतिमा देवालय में दीप्ति जन - जन से पूजित धन्य है शिल्पी शिल्पी की अद्भुत शिल्प - कला शिल्पी महान् है मेरा पथ - प्रदर्शक निर्माता प्रज्ञा की छैनी से उसने उतारा है राग-द्वष घृणा का कल्मष प्रतिक्षण आ रहा है प्रकाश हृदय - कक्ष से निर्वासित अंधियारा हे परम गुरु प्रज्ञा - शिल्पी! सास-सांस में व्याप्त है उपकार तुम्हारा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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