Book Title: Samay ke Hastakshar
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jayshree Prakashan Culcutta

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Page 60
________________ वर्तमान और अतीत मैं खड़ा था नील गगन के नीचे श्यामल धरती के ऊपर शहर की सड़क के किनारे, निरीक्षण कर रहा था समीक्षक - दृष्टि से वर्तमान और अतीत की दूरी। सब कुछ बदल गया समय बहुत कुछ छल गया, आलिंगन रह गये; प्यार चला गया, वाणी में मृदुता; स्नेह छला गया। ४३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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