Book Title: Samay ke Hastakshar
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jayshree Prakashan Culcutta

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Page 70
________________ ममत्व तैर आता है मेरी आँखों में मस्तिष्क की तरंगों में वह भिखारी कभी - कभी, झगड़ रहा था सार्वजनिक सड़क के लिए अपनी बताकर जो । उसी का है सड़क का वह हिस्सा भीख मांगता बैठकर वह जिस पर । लाभ उठाकर सार्वजनिकता का कर लिया एकाधिकार । सार्वजनिकता | सार्वजनीनता के साये में बोल रहा है एकजनीन एकाधिकार । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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