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ममत्व
तैर आता है
मेरी आँखों में मस्तिष्क की तरंगों में
वह भिखारी कभी - कभी, झगड़ रहा था
सार्वजनिक सड़क के लिए
अपनी बताकर जो । उसी का है
सड़क का वह हिस्सा भीख मांगता
बैठकर वह जिस पर । लाभ उठाकर सार्वजनिकता का कर लिया एकाधिकार । सार्वजनिकता | सार्वजनीनता के साये में बोल रहा है एकजनीन एकाधिकार ।
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