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वर्तमान और अतीत
मैं खड़ा था नील गगन के नीचे श्यामल धरती के ऊपर शहर की सड़क के किनारे, निरीक्षण कर रहा था समीक्षक - दृष्टि से
वर्तमान और अतीत की दूरी। सब कुछ बदल गया समय बहुत कुछ छल गया, आलिंगन रह गये; प्यार चला गया, वाणी में मृदुता;
स्नेह छला गया।
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