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शहीदों के प्रति
शहीदों तुम्ही हो कोहनूर शिलालेख इतिहास के स्वर्णिम
पृष्ठ। दिदिगन्त व्यापी है
तुम्हारी आभा, विस्मरण कर रहा है
जिस क्षण से देश, दूषित हो रहा है
उस क्षण से परिवेश ।
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