Book Title: Sallekhana is Not Suicide
Author(s): T K Tukol
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 11
________________ श्रीमयुगादिदेवस्य पुण्डरीकस्य च क्रमौ । ध्यात्वा शत्रुञ्जये शुद्ध्यत्सल्लेस्या(श्या)ध्यानसंयमैः ॥ श्रीसङ्गमसिद्धमुनिर्विद्याधरकुलनभस्तलमृगाङ्कः। दिवसैश्चतुर्भिरधिकैर्मासमुपोष्याचलितसत्त्वः ॥ वर्षसहस्र षष्टया चतुरन्वितयाधिके दिवमगच्छत् । सोमदिन आग्रहायणमासे कृष्णद्वितीयायाम् ॥ अम्भैयकः शुभं तस्य श्रेष्ठिरोधैर्यकात्मकः । पुण्डरीकपदासगि चैत्यमेतदचीकरत् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

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