Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 07 Uttaradhyayan Niryukti Evam Churni Aagam 43
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
View full book text ________________
आगम
(४३)
भाग-7 "उत्तराध्ययन”- मूलसूत्र-४ (नियुक्ति: + चूर्णि:) अध्ययन -
मूलं -1 /गाथा ||-|| नियुक्ति : [२-४/२-४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४३] मूलसूत्र-[०३] उत्तराध्ययन-नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि:
अंगादिप्रभवान्युचराणि
सूत्रांक
HABAR
श्रीउत्तुराना पहाणुत्तरं तिविई, तं०-सच्चित्रं अच्चित्तं मीसंति, सच्चित्तपहाणुत्तर तिविर, त-दुपयं चउप्पयं अपयंति, दुपदेसु तित्थचूर्णी
करो चउपदेसु सीहो अपदेसु रुक्खाण जंबू सुदसणा, पणसं कताणं फलाणं, अचित्ताणं मणीण वेरुलियमणी सुवण्णाण वणसुवणं, १ विनयाध्ययने
मीसपहाणुत्तरं दुपदेसु जहा स एव भगवं तित्थगरो गिहवासे सब्वालंकारविभूसितो, णाणुत्तरं केवलणाणं, सव्वणाणुत्तरं सुयनाणं, जओ-सुयनाणं महिडीयं, केवलं तयणंतरं । अप्पणो य परेसिं च, जम्हा तं परिमावर्ग ॥१॥ अथवा श्रुतवानं शानोचर, कमुत्रं क्रमः परिपाटी आनुपूर्वी इत्यर्थः, कमुत्तरं चउम्बिई, तं०-दव्वओ खेतओ कालओ भावओ, दचओ परमाणुपोग्ग| लस्स दुपएसिओ उत्तरो दुपएसियस्स तिपएसियो एवं जाव अंतिमो अणंतपएसिओ खंधो, खत्तओ एगपएसोगाढस्स दुपएसो
गाढो उत्तरं, एवं जाव अतिमो असंखज्जपएसोगाढचि, कालओ एगसमयठितियस्स दुसमतठितिओ उत्तरो एवं जाव अंतिमो | असंखेज्जसमयठितीउत्ति, भावओ वण्णादाणं एकेके एगगुणा(इ)पदकमो जाव अणंतगुणपज्जवसाणोति, गणणाउत्तरं गणेज्जंताणं एकगाउ दुरुत्तरो दुगाउ तिगो एवं जाव सीसपहेलियत्ति, भावुत्तरो खातिओ भावो, उत्तरो सर्वोत्कृष्ट इत्यर्थः । एतेसिं लक्खणं | 'जहन्नं सउत्तरं खलु' गाहा (२-४ ) जहणं थायमित्यर्थः, जहण्णो परमाणू स उच्चरो एवं जाव अंतिमो खंधो अणंताणंतपएसिओ णिरुत्तरो, सेसा खंधा सउत्तरा अणुत्तरा य भवंति, एवमिहापि विणयसुयं सउत्तरं जीवाजीवाभिगमो णिरुत्तरो, सर्वो| तर इत्यर्थः, सेसज्झयणाणि सउत्तराणि णिरुत्तराणि य, कह, परीसहा विणयसुयस्स उत्तरा चउरंगिज्जस्स तु पुब्बा इतिकाउं| |णिरुत्तरा, एवं यं ॥ एत्थ कयरेणुत्तरेणाहिगारो', उच्यते, 'कमुत्तरेण पगयं' गाहा (३.५) उत्तरायणाणि आया-12 रस्स उरि आसित्ति तम्हा उत्तराणि भवति । एयाणि पुण उत्तरज्झयणाणि कओ केण वा भासियाणित्ति, उच्यते, 'अंगप्पा
OLESCARCANE
दीप
अनुक्रम
S
IBIL६॥
[19]
Loading... Page Navigation 1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 ... 302