Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 02 Sootrakrut Churni Aagam 2
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम
(०२)
भाग-2 “सूत्रकृत” - अंगसूत्र-२ (नियुक्ति:+चूर्णि:)
श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१-३५], मूलं [-] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-०२], अंग सूत्र-०२] “सूत्रकृत" जिनदासगणि विहिता चूर्णि:
प्रत सूत्रांक
श्रीसूत्रकृताङ्गचूर्णिः।
PAMERIEIPATRAD
मंगलचर्चा
दीप अनुक्रम
ॐ नमः सिद्धेभ्यः। णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहणं, मंगलादीणि सत्याणि मंगलमज्झाणि मंगलअवसाणाणि, मंगलपरिग्गहिआ सिस्सा अवग्गहेहावायधारणासमत्था सत्थाण पारगा भवंति, ताणि य सत्याणि लोगे विरायंति वित्थारं च गच्छंति, तथादिमंगलेण, सिस्साआरंभप्पभिति णिव्विसाया सत्थं पडिवजिऊणं अविग्घेण सत्थस्स पारं गच्छंति, मझमंगलेण तदेव सत्थं परिजितं भवति, अवसाणमंगलेण सिस्सपसिस्ससंताणे पडिवाएन्ति, आहआचार्या ! मंगलंकरणाच्छाखं न मङ्गलमापद्यते, अथवेह मङ्गलात्मकस्यापि शास्त्रस्यान्यन्मङ्गलमुच्यते अतस्तस्याप्यन्यत् तस्यान्यन्म-| ङ्गलमादेयमित्यतोऽनवस्था, न चेदनवस्था प्रतिपद्यते ततो यथा मालमपि शास्त्रं अन्यमङ्गलशून्यत्वात् न मङ्गलं तथा मङ्गलमपि | | अन्यमङ्गलशून्यत्वादमङ्गलमिति मङ्गलाभावः, उच्यते,, यस्य शास्त्रादर्थान्तरभूतं मङ्गलं तं प्रत्येपा कल्पना भवेत् , इह त्वमाकं
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... उपोद्घात् नियुक्तिः, आदि-मध्य-अंत्य मंगलस्य निर्देश:
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