Book Title: Rushimandal Stava
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 1
________________ ऑगस्ट २०११ अज्ञातकर्तृक ऋषिमण्डलस्तवः॥ - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि 'ऋषिमण्डल'ना नामे बे रचनाओ जैनोमां जाणीती छे. एक, ऋषिमण्डलस्तोत्र : एनी ६३ अने १०० श्लोकोप्रमाण बे वाचनाओ प्रचलित छे, जेना कर्ता श्रीगौतमस्वामी होवानुं मनाय छे. आ स्तोत्र एक मन्त्रादिगर्भित प्रभावशाली स्तोत्र तरीके व्यापक रीते प्रख्यात छे. बे, ऋषिमण्डलस्तव प्रकरण : २१० गाथाप्रमाण आ रचनाना कर्ता श्रीधर्मघोषसूरि छे; तेना पर रचायेली अनेक टीकाओ पैकी बेएक टीकाओ प्रकाशित पण छे. आमां प्राचीन महापुरुषोनां नामो तथा तेमना खास प्रसङ्गोनो निर्देश अने ते रीते तेमनी स्तवना थयेल छे. ते 'महर्षिकुलक' एवा नामे पण ओळखाय छे. ए बेथी जुदी एवी त्रीजी रचना 'ऋषिमण्डल स्तव' अत्रे प्रगट थई रही छे. आ रचना २७१ प्राकृत गाथाओ-प्रमाण छे. तेमां विविध मुनिमहात्माओनी तथा तेमना विशिष्ट प्रसङ्गोनी गुणगाथा के स्तवना करवामां आवी छे. आ मुनिओ ते ऋषिओ, तेमना मण्डल एटले के समूहनी स्तुति ते 'ऋषिमण्डलस्तव'. आना कर्तानो स्पष्ट उल्लेख जडतो नथी. जोके बीजी गाथामां "इसीसु इसिवालिणा निच्चं" आवो उल्लेख थयो छे, तेमां 'इसिवालिणा' एटले 'ऋषिपालेन' एवो अर्थ स्वीकारीए तो, ते उल्लेख कर्ताना नामनो सूचक थई शके खरो. परन्तु तेम अर्थ करवो के केम ते विषे निःशङ्कता नथी; केमके अन्य कोई प्रमाण के आधार उपलब्ध नथी. परन्तु आ रचना घणी प्राचीन छे तेवू तो भाषा तथा तेमांनां वर्णनो उपरथी अवश्य जणाई आवे छे. आ 'ऋषिमण्डल' - वर्णनमां छेल्लुं नाम वज्रस्वामी किंवा आर्यवज्रनुं मळे छे; त्यार पछीना कोई 'ऋषि'नुं नाम के वर्णन नथी थयुं एटले आ रचना, कदाच आर्य वज्रना (वीर नि.नो पांचमो सैको, ईस्वी सननो प्रारम्भकाल) नजीकना समयमां थयेला कोई कर्तानी रचना होय तो ते सम्भवित लागे छे. आ रचनानी ताडपत्रीय बे वाचना, बे अलगअलग ताडपत्र-प्रतिओमां सचवाई छे; ते बन्ने प्रतिओ खम्भातना शान्तिनाथ ताडपत्र भण्डारमा छे. आ

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 ... 31