Book Title: Punchaastikaai Sangrah
Author(s): Kundkundacharya, 
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates * अर्पण * जिन्होंने इस पामर पर अपार उपकार किया है, जिनकी प्रेरणा और कपासे 'पंचास्तिकायसंग्रह' का यह अनवाद हआ है. जो श्री कुन्दकुन्दभगवानके असाधारण भक्त हैं, पाँच अस्तिकायोंमें सारभूत ऐसे शुद्धजीवास्तिकायका अनुभव करके जो स्व-पर कल्याण साध रहे हैं, और जिनकी अनुभवझरती कल्याणमयी शक्तिशाली वाणीके परमप्रतापसे पाँच अस्तिकायोंकी स्वतंत्रताका सिद्धांत तथा शुद्ध जीवास्तिकायकी अनुभूतिकी महिमा सारे भारतमें गूंज रही है, उन परमपूज्य परोपकारी कल्याणमूर्ति सदगुरुदेव श्रीकानजीस्वामीको यह अनुवाद पुष्प अत्यन्त भक्तिभाव से अर्पण करता गुजराती अनुवादक: हिम्मतलाल जेठालाल शाह Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 293