Book Title: Punarjanma Author(s): Bhushan Shah Publisher: Mission Jainatva Jagaran View full book textPage 6
________________ उत्तर दिया - "बीलकुल नहीं।" मैंने सूरत पहुंचकर वही प्रश्न फिर किया और वही उत्तर फिर मिला । रात्रि के लगभग १० बजे हम वीरमगांव पहुंचे और आगे न बढ़ सकने के कारण हम वहीं उतर गये तथा रात में वेटिंग रुम में ठहरे। बालक को यह कहने पर कि हम अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंच गये हैं, उसने पुनः नकारात्मक उत्तर ही दिया। वढवाण शिविर में और परीक्षाएं : दूसरे दिन हम वढवाण कैम्प पहुंचे और लगभग दो महिने लीमडी की धर्मशाला में ठहरे । बालक जब भी मन्दिर में "चैत्यवन्दन" और भजन बोलता तो लोग चारों ओर इकट्ठे हो जाते थे। वह आने-जाने वाले साधुओं के प्रवचन भी बहुत ध्यान से सुनता था, हमारे वढवाण पहुंचने के कुछ समय बाद ऐसा हुआ कि जब एक दिन बालक मंदिर से वापस लौट रहा था तो किसी ने उसे पूछा कि तुम कहां जा रहे हो? उसने उत्तर दिया कि मैं सिद्धाचलजी जा रहा हूं, आश्चर्य की बात यह है कि जैसी बातचीत बम्बई के वालकेश्वर मन्दिर में हुई थी वैसी ही बातचीत यहां फिर बालक और उस सज्जन के बीच हुई । वे बहुत ही प्रसन्न हुए। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और घर ले आये। अब तो बालक के पूर्वजन्म की स्मृति होने के समाचार जंगल में लगी आग की तरह फैल गये और दूर-पास, सब जगह से पूछताछ होने लगी, उस डेढ महीने के समय में लगभग १५००० लोग गुजरात और काठियावाड से उसे देखने आये होंगे। कुछ वृद्ध महिलाएं तो ४०-४० मील से पैदल चलकर «««««««««« «««««««««««««««««««««««««« 0 उपवास करती आई और उन्होंने बच्चे को आदर देकर ही अपना उपवास तोडा-पारणा किया। साथ ही उन्होंने उसके पूर्वजन्म और उत्तर-जन्म के सम्बन्ध में प्रश्न भी किये। इस प्रकार की सैंकड़ों घटनाओं में से २-३ घटनाएं उल्लेखनीय हैं। न्यायाधीश तथा बालक : मौरवी रेल्वे के मजिस्ट्रेट बालक सिद्धराज से मिलने आये और उन्होंने विस्तारपूर्वक उसकी जांच और जिरह की। यह जिरह विशेष उल्लेखनीय इसलिए है कि उससे यह साबित होता है कि बालक को अपने पूर्वजन्म की याद कितनी स्पष्ट हैं। इस जन्म में सिद्धाचलजी की यात्रा किये बिना ही वह अपने पूर्वजन्म "तोते के जीवन" की घटनाओं को बता सकता था। मजिस्ट्रेट - तुम पूर्व जन्म में क्या थे? सिद्ध - मैं तोता था। मजिस्ट्रेट - तुम कहां रहते थे? सिद्ध- 'सिद्धवड' में। मजिस्ट्रेट - यह क्या है और कहां है? सिद्ध- यह एक पवित्र-वृक्ष है, जो पालीताणा की छ:मील की परिक्रमा में पहाड़ के दूसरी तरफ है। मजिस्ट्रेट - तुम वहां क्या करते थे? सिद्ध- मैं आदीश्वर भगवान की पूजा करता था। मजिस्ट्रेट - तुम किससे पूजा करते थे?Page Navigation
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