Book Title: Preksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Author(s): Mahapragya Acharya
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 10
________________ की भूमिका तक पहुचने की क्षमता प्राप्त हुई है। अनेक लोगों ने शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त किया है, वहा सैकड़ों की संख्या में लोग मानसिक तनाव एवं अन्य मानसिक बीमारियों से मुक्त हुए हैं। युगप्रधान गणाधिपति श्री तुलसी एवं उनके उत्तराधिकारी आचार्यश्री महापज्ञ के सतत मार्गदर्शन एवं परिश्रम का ही यह परिणाम है कि आज सहस्र-सहस्र लोग इस आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर चल कर समस्याओं से मुक्त जीवन जीने का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। प्रेक्षाध्यान-पद्धति के रूप में मानव-जाति को इन दो महान् अध्यात्म-मनीषियों का अनुपम वरदान प्राप्त हुआ है। हमें दृढ़ विश्वास है कि इस सार्वभौम एवं सार्वजनीन विधि को समझकर विद्यार्थी-वर्ग लाभान्वित होगा। प्रस्तुत पुस्तक को विद्यार्थियों के हाथों तक पहुंचाने में अनेक व्यक्तियों का सक्रिय योगदान हमें मिला है। सर्वप्रथम हम परम श्रद्धास्पद युगप्रधान गणाधिपति श्री तुलसी एवं श्रद्धेय आचार्यश्री महाप्रज्ञ के चरणों में श्रद्धा पुष्प समर्पित करते हैं जिनके आशीर्वाद एवं मार्ग-दर्शन से हम अपने कार्य में सफल हो सके हैं। पुस्तक के समाकलक प्रेक्षा-प्राध्यापक मुनिश्री किशनलाल एवं प्रेक्षा-प्रशिक्षक श्री शुभकरण सुराणा के हम आभारी हैं, जिन्होंने अपने कलात्मक समाकलन से पुस्तक को ऐसा रूप दिया है, जो विद्यार्थियों के लिए सुपाच्य एवं आकर्षक बना है। इसके साथ ही हम प्रेक्षा-प्राध्यापक मुनिश्री महेन्द्रकुमार के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिन्होंने अथक परिश्रम कर एक महीने के स्वल्पकाल में ही हमारे प्रकाशन कार्य को सम्पन्न करवाने में अपूर्व योगदान दिया है। हमारी संस्था के शोध-अधिकारी श्री रामस्वरूप सोनी, शोध-विद्वान् डॉ. परमेश्वर सोलंकी आदि विद्वानों ने भी प्रूफ-संशोधन में तत्परता के साथ जो सहयोग किया है, उसके लिए हम उनके आभारी हैं। अजमेर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. उपाध्याय एवं पाठ्यक्रम-मण्डल के प्रति हम हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं कि उन्होंने पुस्तक को बी. ए. के पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित किया। अजमेर के डॉ. भंवरलाल जोशी एवं श्री मांगीलाल जैन के प्रति भी हम अपना आभार प्रगट करना चाहेंगे जिनकी सूझ-बूझ एवं सहयोग की बदौलत अजमेर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए हम यह पुस्तक प्रकाशित कर सके हैं। ____ हम आशा करते हैं कि विद्यार्थी-वर्ग के लिए प्रस्तुत पुस्तक न केवल अध्यापन-काल में अपित् समग्र जीवन-काल में उपयोगी होगी। -श्रीचन्द बैंगानी Scanned by CamScanner

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