Book Title: Pravachansara
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 556
________________ परिशिष्ट : सैंतालीस नय ५५१ पुरुषकारनयेन पुरुषकारोपलब्धमधुकुक्कुटीकपुरुषकारवादिवद्यत्नसाध्यसिद्धिः ।। ३२॥ दैवनयेन पुरुषकारवादिदत्तमधुकुक्कुटीगर्भलब्धमाणिक्यदैववादिवदयत्नसाध्यसिद्धिः ।।३३।। पकता है; परन्तु कत्रिम गर्मी से पकनेवाला आम समय से पहले ही पक जाता है। पकते तो दोनों सुनिश्चित स्वकाल में ही हैं तथा दोनों पकते भी गर्मी के कारण ही हैं। दोनों में से कोई भी आम न तो असमय में ही पकता है और न बिना गर्मी के ही पकता है। अत: दोनों में दोनों ही कारण समान रूप से विद्यमान हैं। यद्यपि दोनों में ही दोनों कारण समान रूप से विद्यमान हैं; तथापि जब कालनय से कथन करेंगे, तब काल की मुख्यता से बात कही जायगी और जब अकालनय से कथन करेंगे, तब अकाल अर्थात् अन्य पुरुषार्थादि कारणों की मुख्यता से बात कही जायेगी। इसीप्रकार आत्मा की सिद्धि अर्थात् मुक्तिरूपी कार्य पर भी घटित कर लेना चाहिए। मुक्तिरूपी कार्य होता तो पुरुषार्थादि कारणों के साथ समय पर ही है; न तो बिना पुरुषार्थ के होता है और न असमय में ही; पर जब कालनय से बात कही जाती है तो यह कहा जाता है कि कालनय से यह भगवान आत्मा काल पर आधार रखनेवाली सिद्धिवाला है और जब अकालनय से कथन किया जाता है तो यह कहा जाता है कि यह भगवान आत्मा अकाल पर आधार रखनेवाली सिद्धिवाला है अथवा काल पर आधार नहीं रखनेवाली सिद्धिवाला है अथवा पुरुषार्थादि कारणों पर आधार रखनेवाली सिद्धिवाला है।।३०-३१ ।। इसप्रकार कालनय और अकालनय की चर्चा के उपरान्त अब पुरुषकारनय और दैवनय की चर्चा करते हैं - आत्मद्रव्य पुरुषकारनय से, जिसे पुरुषार्थ द्वारा नीबू का वृक्ष या मधुछत्ता प्राप्त होता है, ऐसे पुरुषार्थवादी के समान यत्नसाध्य सिद्धिवाला है और दैवनय से, जिसे पुरुषार्थवादी द्वारा नीबू का वृक्ष या मधुछत्ता प्राप्त हुआ है और उसमें से जिसे बिना प्रयत्न के ही अचानक माणिक्य प्राप्त हो गया है, ऐसे दैववादी के समान अयत्नसाध्य सिद्धिवाला है।।३२-३३ ।।" 'इस भगवान आत्मा की दु:खों से मुक्ति यत्नसाध्य है या अयत्नसाध्य ?' - इस प्रश्न का उत्तर यहाँ पुरुषकारनय और दैवनय के माध्यम से दिया जा रहा है। यहाँ पुरुषकारनय और दैवनय को पुरुषार्थवादी और दैववादी के उदाहरण से स्पष्ट किया गया है। किसी पुरुषार्थवादी व्यक्ति ने बड़े यत्न से नीबू के पेड़ उगाये या मधुछत्तों का संग्रह किया। उन पेड़ों से या उन मधुछत्तों में से एक पेड़ या एक मधुछत्ता उसने अपने मित्र

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