Book Title: Pratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 9
________________ सज्जन अनुभूति के बोल इस भौतिक दुनियाँ में पग-पग पर स्वागत करता है, पाप का साम्राज्य मानव मन में छा रहा है, राग-द्वेष का आधिपत्य झूठ, माया और चोरी से, मिल रहा सिद्धि और साफल्य तब कैसे की जाए Anti-corruption की बात कैसे होगी आत्म शुद्धि की शुरूआत कैसे मिलेगा मुक्ति रमणी का साथ इसीलिए परमात्मा ने दी एक छोटी सी सौगात जो दिखाएगी समाज से बुराईयों को भगाने का मार्ग पापों से पीछे हटकर हृदय को निर्मल करने का मार्ग स्वयं को शुद्ध बनाकर जीवन महकाने का मार्ग मैत्री भाव को अखिल जगत में फैलाने का मार्ग उसी सन्मार्ग को प्रकाशित करने हेतु यह सर्चलाईट.....

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