Book Title: Prapanchasara Sangraha
Author(s): Giryanendra Saraswati
Publisher: Giryanendra Saraswati
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
प्र.म. याविशेषणमाएवंदक्षिणनासिकाश्वासमार्गेणमारुतं विलीनंकत्वाअरुणवर्णमग्निवी जंध्यात्वातंवायुमग्निबीजसहित ।
मापू पूर्वपरिशोषितं तंदेहंसर्वपरिदग्धसम्भाव्यावामनासिकाश्वासमार्गेणवायनेनदयभस्मनांसहव्यामुञ्चेवा पुनरपर मितिअपरंविधुमितिसामानापि करण्हितीयेअपरष्टकाराविधंसोमात्मकंशुभ्रवर्णव्यात्वाअमृताभपथैना नाडी मार्गेणवामनासिकाश्वासमार्गेणेत्यर्थः। तेनमार्गेणमूलाधारंनीखासुषम्मादारणललाटोपलसितद्वादशानस्थितमिन्दुमण्ड लंप्रापय्यातयोरुभयोःसंबधाचन्द्रमण्डलचालनात्ततोनिःसृतामृतधारमातस्मप्रसाल्यातथैवजीवमापायपुनरकार दिवर्णरूपयातयामुखकरचरणादिकमत्पादमामीत्सनस्मरनावमिसमतबीजसप्रणवञ्चत्रिंशद्वारंकुम्भके नसंपायादेह काठिन्यार्थलंबीजमूट्टि विन्यसेत्ापुनमीत्तकावर्णानकान्नवतेत्यादिनास्मिन्नेवमातकापटलेउपरिवश्लमाणक्रमेण न्यसेवाएपमिडावक्रेत्यादिनोक्तोभूतशुद्धिप्रकारः।केवलमातकान्यासेनैववाभूतभडिङ्क साताअथवाप्रकारान्तरेणापि। सश्यागमोक्तप्रकारेणभूत वियोस्वदेहं एथिव्यादिभूतबीजंब्रह्मविसुभ्यामुत्सबारमारागद्वेषधर्माधर्ममोहमूलंवि याधिपतिपरिपालितंकलादितत्वसारन्तन्मात्रेन्द्रियशाखोपशाखंविषयालोचनपल्लवैभावप्रपञ्चकुसुमंबुध्यध्यवसायसं रामः कल्पफलंपुरुषभोगोपभोग्यंभोग्यभोलवरसमूईमूलमधःशाखम् वरतरुरूपंसञ्चिन्त्यप्रथमपूरकार्डननिवत्तिकलाबी||
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 755