Book Title: Pramana Pariksha Author(s): Vidyanandacharya, Darbarilal Kothiya Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 7
________________ सम्पादकीय सन् १९४७ में आ० विद्यानन्दकी ही एक कृति 'आप्त-परीक्षा' का सम्पादन किया था और १९४९ में वह प्रकाशित हो गयी थी। उसी समय उनकी इस 'प्रमाण-परीक्षा' के सम्पादनादिका भी विचार उदित हुआ था। किन्तु अन्य साहित्यिक कार्यों एवं अध्यापनादिमें व्यस्त रहनेसे उसका कार्य पिछड़ता गया। सन् १९६२ में पुनः उसका कार्य हाथमें लिया और उसकी पाण्डलिपियोंके लिए मूडबिद्री, जयपुर और दिल्लीसे सम्पर्क स्थापित किया। फलतः मूडबिद्रीके जैन मठके शास्त्र-भण्डारसे पाँच (तीन पूरी और दो अधूरी) ताडपत्रीय प्रतियोंके पाठान्तर श्री पण्डित बी० देवकुमारजी शास्त्री मूडबिद्रीके सौजन्यसे प्राप्त हुए। जयपुरके श्री महावीर-भवनसे डॉ० कस्तूरचन्द्रजी कासलीवालके प्रयत्नसे एक प्रति और दिल्लीके नया मन्दिर शास्त्र-भण्डारसे बा० पन्नालालजी अग्रवालके प्रयाससे एक प्रति प्राप्त हुई। इन सातों प्रतियोंके आधारसे संशोधन और पाठान्तर लिये गये हैं। बहुतसे पाठान्तर तो बहुत ही महत्त्वपूर्ण उपलब्ध हुए हैं। प्रतियोंका परिचय निम्न प्रकार है १. 'अ' प्रति-ताडपत्रीय मुद्रित ग्रन्थ-सूचीकी पृष्ठसंख्या ९९, अनुक्रम नं० १०३ और ग्रन्थ नं० ४११ वाली यह प्रति है। इसकी पत्रसंख्या २८, प्रतिपत्रमें पंक्तियाँ ८; प्रतिपंक्ति में अक्षर ८०; लम्बाई १८ अंगुल; चौड़ाई २ अंगुल है । यह पूर्ण प्रति है। प्रारम्भका और बीचमें ४थे, ६ठे पत्रोंका अल्पभाग खण्डित है। यह प्रति अन्य प्रतियोंसे अपेक्षाकत शुद्ध है, सुवाच्य भी है । अक्षर अत्यन्त सुन्दर हैं और प्रति उत्तम दशामें है। २. 'ब' प्रति-ताडपत्रीय मुद्रित ग्रन्थ-सूचीकी ही पृष्ठसंख्या ९९, अनुक्रमसंख्या १०१ और ग्रन्थ नं० १३२ वीं यह प्रति है। पत्रसंख्या ३४; प्रतिपत्रमें पंक्तियाँ ७; प्रतिपंक्तिमें अक्षर ८७; लम्बाई १७ अंगुल और चौड़ाई ११७ अंगुल है । प्रति पूर्ण है । बीचके ६ठे पत्रके ऊपरकी पंक्तिके कुछ अक्षर टूटकर नष्ट हो गये हैं। इस प्रतिमें यत्र-तत्र अनेक संस्कृत टिप्पणियाँ दी गयी हैं। प्रति शुद्ध है, सुन्दर भी है। अक्षर सुवाच्य हैं। लिपिकी रचनासे यह प्रति सबसे प्राचीन मालूम होती है । ३. 'स' प्रति-उक्त ग्रन्थ-सूची पृष्ठ ९९ में अंकित, अनुक्रम नं० १०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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