Book Title: Prakritsarvaswam Author(s): Markandey, Krushnachandra Acharya Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad View full book textPage 8
________________ समर्पणम् . श्रीवत्सगोत्रभुवि विप्रकुले प्रसूतं श्रीविश्वनाथतनुजं विदुषां वरेण्यम् । आचार्यमार्यतिलकं वनमालिनं तं वन्दे सदा सुकृतिनं मम तातपादम् ॥ साहित्ये सांख्ययोगेऽप्यथ नयबहुले धर्मशास्त्रे च योऽसा_____ वाचार्योपाधिधारी विमलगुणगणैर्योतितस्वान्तरात्मा । येनाप्यध्यापितोऽहं सततजडमतिः पुण्यगीर्वाणवाणी तस्याराध्ये पदाब्जे सुकविकृतिमिमामर्पये नव्यरूपाम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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