Book Title: Prakarana Ratnakar Part 1
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 7
________________ श्री जिनाय नमः अथ श्रीसमयसार नाटक बनारसीदास कृत गुजराती ाषामा अर्थ सहित प्रारंभः उपोद्घात. या ग्रंथनी दिगंबरी बनारसीदासे शुद्ध हिंदुस्थानी जाषामां पद्यात्मक ग्रंथरूप रचना करीबे. ए ग्रंथकर्त्ता पोते महापंकित तथा कवीश्वर होवाथी विविध प्रकारनी बंदरचना करीने तेणे पोतानी श्रेष्ठ कृति देखाडी श्रापीछे. पदलालित्यता तथा अर्थ गौरवतादिक जे काव्यना सारा गुण वर्णन करयाबे, ते या ग्रंथनी कवितामां सार • ते दीगमां श्रावे. अलंकारवडे कविता सारीरीते नूषित करीबे. या ग्रंथ श्राध्यात्मिक विषयवालो होवाथी श्रामां मात्र शांत रसज मुख्य बे पण प्रसंगानुसारे बाकीना रस पण कचित् दीगमां श्रावे. जोके या ग्रंथ उपर कह्या प्रमाणे निन्द वादिकमां गणायला दिगंबरीनो रचेलोटे, तोपण एनो विषय प्राध्यात्मिक होवाथी ते सर्वने उपयोगीबे; माटे थापुस्तकमां श्रमे नाख्यो. ए ग्रंथनी व्याख्या कोई रूपचं दजी नामना पंडिते करीबे, ते पण हिंदुस्थानी जाषामां होवाथी सर्व जनने सम ज्यामां आवे नही, माटे तेनो आश्रय लईने मे गुजराती जाषामां व्याख्या करी a. करतां श्रादिमां मंगलाचरणनो दोहरो करयोबे ते याप्रमाणेः ॥ दोहा ॥ - श्री जिन बचन समुद्रको, कौलगि होइ बखान; रूपचंद तौहू लिखे, अपनी मति अनुमान ॥ १ ॥ अर्थः-व्याख्याकर्त्ता रूपचंदजी कहेबे के, श्री जिनवचनरूप समुद्रनो क्यांसुधी व्याख्यान थाय, तोपण हुं मारी मतिने अनुमाने लखी जणावुंकुं ॥ १ ॥ हवे ग्रंथकर्त्तारं मां मंगलाचरणरूप श्रीपार्श्वनाथ स्वामीनी स्तुति करेबे॥कवित्त, इकतीसा सर्व हस्वाक्षरः ॥ -करम नरम जग तिमिर हरन खग, जरग लखन पग शिव मग दर सि; निरखत नयन जविक जल बरखत, हरखत श्रमितविक जन सरसि; मदन कदन जित परम धरम हित, सुमिरत जगत जगतसब डरसि; सजल जलद तन मुकुट सपत फन, कमठ दलन जिन नमत बनरसि ॥ १ ॥ अर्थः- जगमां जे आठ कर्मरूप तिमिर एटले अंधकारबे तेनुं हरण करवाने खग एटले सूर्यरूप बे. जेना चरणने विषे सर्पनुं चिन्ह बे. जे मोहना मार्गने देखा sara a. जेनेने करी निरखतां कल्याणरूप जल वर्षेढे, तेणे करी अमित ७३ Jain Education International այց For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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