Book Title: Prachin evam Arvachin Tristutik Gaccha Author(s): Shivprasad Publisher: Z_Yatindrasuri_Diksha_Shatabdi_Smarak_Granth_012036.pdf View full book textPage 2
________________ यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहासधंधूकीया शाखा की अज्ञात १७वीं शती वही, पृष्ठ २२३२ पट्टावली लगभग विडालंबीया शाखा अज्ञात १८वीं शती लगभग वही पृष्ठ २२३३ की पट्टावली आगमिकगच्छ पट्टावली मुनिसागरसूरि १६वीं शती पट्टावली समुच्च्य, भाग-२ लगभग १५८-१६२ जैन सत्यप्रकाश, वर्ष६, अंक ४ जैन परंपरानो इतिहास, भाग-२ पृष्ठ ५४०-५४२ विविधगच्छीय पट्टावली संग्रह, पृष्ठ २३४-२३५ ६. धंधूकीय शाखा की पट्टावलीअज्ञात १७ वीं शती लगभग विविधगच्छीय पट्टावली संग्रह, पृष्ठ २३५-२३६ उक्त तालिका की प्रथम पट्टावली में आगमिकगच्छ के प्रवर्तक आचार्य शीलगुणसूरि का पूर्णिमागच्छीय आचार्य चंद्रप्रभसूरि के शिष्य के रूप में उल्लेख है। इसके अतिरिक्त इस पड़ावली से आगमिकगच्छ के इतिहास के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती है। तालिका में प्रदर्शित अंतिम दोनों पट्टावलियां आगमिक गच्छ के प्रकटकर्ता शीलगुणसूरि से प्रारंभ होती हैं। ये पट्टावलियां इस प्रकार हैं-- मुनिसागरसूरि द्वारा रचित आगमिकगच्छपट्टावली में उल्लिखित गुरु परंपरा की सूची शीलगुणसूरि (आगमिकगच्छ के प्रवर्तक) देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि यशोभद्रसूरि सर्वाणंदसूरि अभयदेवसूरि वज्रसेनसूरि जिनचन्द्रसूरि arrorborocarrorswordwordworwariwarobardGA60-6-७३ karGrowondirdiwandirani Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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