Book Title: Prachin evam Arvachin Tristutik Gaccha
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Yatindrasuri_Diksha_Shatabdi_Smarak_Granth_012036.pdf

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Page 22
________________ ९१. १५१ साति वही, ९२. १५१६ ९३. १५१६ ९४. १५१६ ज्येष्ठ सुदि३ गुरुवार आषाढ़ सुदि३ रविवार आषाढ़ सुदि९ शुक्रवार कार्तिक सुदि १५ शनिवार वैशाख सुदि ३ सोमवार वैशाख सुदि १२ सोमवार माघ सुदि५ शुक्रवार -यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्ध इतिहासदेवरत्नसूरि वासुपूज्य की सुमतिनाथ मुख्यबावन प्रतिमा का लेख जिनालय, मातर देवरत्नसूरि श्रेयांसनाथ की पार्श्वनाथ जिनालय प्रतिमा का लेख नाहटों की गवाड़, बीकानेर देवरत्नसूरि नमिनाथ की चांदी सुपार्श्वनाथ जिनालय, की सपरिकर प्रतिमा का लेख । सिंहदत्तसूरि वासुपूज्य स्वामी की सुव्रतनाथ जिनालय, प्रतिमा का लेख खारवाडो,खंभात हेमरलसूरि शीलनाथ की शांतिनाथ जिनालय, पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख लखनऊ आणंदप्रभसूरि आदिनाथ की प्रतिमा पार्श्वनाथ देरासर, का लेख अहमदाबाद आणंदप्रभसूरि कुंथुनाथ की प्रतिमा सुविधिनाथ जिनालय, कालेख घोघा, काठियावाड़ ९५. १५१७ ९६. १५१७ भाग-२,लेखांक ४९९ नाहटा, अगरचंद, पूर्वोक्त, लेखांक १५१३ वही, लेखांक १७६१ नाहटों की गवाड़, बीकानेर बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग-२,लेखांक १०३२ नाहर, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखांक १५०५ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग-१,लेखांक १०८९ नाहर, पूरनचंद, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखांक १७६९ वही, भाग-१ लेखांक ५५७ एवं विनयासागर, पूर्वोक्त लेखांक ५७२ नाहटा, अगरंचद पूर्वोक्त, लेखांक २४०८ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग-१,लेखांक १२८४ ९७. १५१७ ९८. १५१७ देवरत्नसूरि माघ सुदि५ शुक्रवार धर्मनाथ की प्रतिमा कालेख संभवनाथ जिनालय, अजमेर ९९. १५१७ देवरत्नसूरि माघ सुदि५ शुक्रवार माघ सुदि५ शुक्रवार १००. १५१७ महेंद्रसूरि १०१. १५१७ पूर्णदेवसूरि वही, माघ सुदि५ शुक्रवार ज्येष्ठसुदि २ शनिवार १०२. १५१८ देवरत्नसूरि विमलनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनालय, का लेख चुरु, राजस्थान आदिनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनालय, का लेख शांतिनाथ पोल, अहमदाबाद मुनिसुव्रत की धर्मनाथ देरासर, प्रतिमा का लेख अहमदाबाद संभवनाथ की. महावीर जिनालय, चौबीसी प्रतिमा चौकसीपोल,खंभात कालेख पद्मप्रभ स्वामी की पार्श्वनाथ जिनालय, पंचतीर्थी प्रतिमा राधनपुर का लेख धर्मनाथ की पंचतीर्थी मोतीसा की ट्रक, प्रतिमा का लेख शत्रुजय भाग-१, लेखांक ११३१ वही, भाग-२ लेखांक ८२७ १०३. १५१८ हेमरलसूरि माघ सुदि५ गुरुवार मुनिविशालविजय, पूर्वोक्त, लेखांक २१६ १०४. १५१९ देवरत्नसूरि ज्येष्ठ वदि १ गुरुवार मुनि कंचनसागर पूर्वोक्त, लेखांक ४६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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