Book Title: Prachin Sazzaya Mahodadhi Sachitra Part 2
Author(s): Shah Indrachand Dhanraj Dhoka Adoni AP
Publisher: Shah Indrachandji Dhanrajji Dhokaji Adoni AP

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ १. सगर्भा पत्नी को छोडकर बनगिरीजी की दीक्षा । २. जन्मते ही पिता की दीक्षा सुनकर बालक के जातिस्मरण ज्ञान । दीक्षा के लिये छूटने मां को सताना ३. मांका बनगिरिजी मुनि को बालक देना । ४. उपाश्रय में ही साध्वियों से ११ अंग आगम ग्रंथ सुनकर, कंठस्थ हो गये । वज्रस्वामि शासन प्रभावक ५. वज्रकुमार को शान्त और आनंद में जानकर माता उसे बापस लेने आती है। ६. वालक न मिलने से मामला राजाके आगे । बालक को दोनों बुलावे, "जिस के पास जाय वह ले ले" यह निर्णय धनगिरि के पास गया वज्रकुमार की तुरन्त दीक्षा । ७. दुर्भिक्ष होने से संघ को पह पर बैठाकर सुभिक्ष स्थान आकाशमार्ग से वज्ज० ने लाया | ८. यहां जैनधर्मद्वेषियों के जिनपूजार्थ फुल न मिलने देने से वन ० ने आकाशमार्ग से लाखों पुष्पों लाकर जैन शासन की महाप्रभावना की । ९. अपनी मृत्यु नजदीक जानकर रथावर्त पर्वत पर १ महिना वजस्वामि का अनशन और स्वर्गवास । Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 442