Book Title: Prachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Author(s): Dinmanishreeji
Publisher: Dhanesh Pukhrajji Sakaria

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Page 6
________________ "॥ श्री शत्रुजय महातीर्थाय नमः ॥ ॥ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः ॥ T ॥श्री अनंत लब्धि निधानाय श्री गौतमस्वामीने नमः ॥ ॥ श्री पद्म-जीत-हीर-कनक देवेन्द्र-कंचन-कलापूर्ण-कलाप्रभ सू. सद्गुरुभ्यो नमः ॥ श्री चैत्यवंदन, स्तुति, स्तवन, पर्वतिथि ढाळ रसथाळ) : शुभाषिष दाता : प.पू. अध्यात्मयोगी श्री. वि. आ.दे. श्री कलापूर्ण सू० म.सा. प.पू. मधुरभाषी श्री. वि. आ. दे. श्री कलाप्रभ सू० म.सा. : संपादिका : परम विदुषी० सा० दिनमणि श्रीजी म० सा० : शुभ आलंबन : पू० सा० श्री० दिनमणिश्रीजी म० सा० ना ४७ वर्षना . सुदीर्घ संयम पर्याय निमित्ते : .श्रीमान श० श्री महाल-भायखला मुम्बइ .: प्रकाशक : श्रीमान शेठ श्री धनेशभाई पुखराजजी सांकरीया (वांकली-राज०) हाल-भायखला मुम्बइ न

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