Book Title: Pind Niryukti
Author(s): Jaysundarsuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 213
________________ १७४ परिशिष्ट-१ गाथा पृष्ठ | गाथा एयारिसं ममं सत्तं...॥६६९।। ................ १६० | कम्मासंकाए पहं मोत्तुं....॥२२२॥ ............. ५४ एरिसगं चिय दुक्खं....।।४९२॥.............. ११७ | कम्मियकद्दममिस्सा चुल्ली....॥२७६॥ .......... ६७ एवं एक्केक्कदिणं...॥६५३॥................... १५६ | करडुयभत्तमलद्धं अण्णहि....॥४९८॥ ........ एवं खु अहं सुद्धो...॥१३७॥ ... .. ३३ | कस्स घर पुच्छिऊणं....॥५०३॥ ............ एवं तु गविट्ठस्सा ...॥५५०॥ ............... .. १३२ | कस्स त्ति पुच्छियम्मी...॥१५९॥ ........... एवं तु पुव्वलित्ते....॥३७७॥ .... | कामं सयं न कुव्वइ...॥१३३।।........ एवं मीसज्जायं चरणप्पं....॥२९९॥ ...... काय-वइ-मणो तिण्णि...॥११४॥ एवं लिंगे भावण....॥१७५॥ ४३ | किं अद्धिइ त्ति पुच्छा...॥५४७।। ..... एसण गवेसणा मग्गणा...॥८८॥ ............. | किं ण ठविज्जइ पुत्तो...॥५४६॥............. एसेव कमो नियमा....॥३६३॥ ............ | किं तं आहाकम्म....॥१८२।। ................. ४४ एसो आहारविही जह...॥७०७॥ .......... | किं वा कहेज छारा....॥३४१॥ .............. ८४ एसो सोलसभेदो वि....॥४१८॥........ किण्णु हु खद्धा भिक्खा...॥५६३॥ .......... १३५ ओगाहिमादणंतरं परंपरं...॥५८५॥ किण्हादिया तु लेस्सा...॥१२०॥ .............. २९ ओदण-मंडग-सत्तुग...॥६५९॥ .............. किवणेसु दुम्मणेसु य....॥४८३॥ ............ ११५ ओदण-वंजण-पाणग...॥४८॥.............. कीयगडं पि य दुविहं....॥३३३॥ ............. ओदण-समितिम-सत्तुग....॥२२४॥ ............ ५४ | कुड्डस्स कुणइ छिड्डं....॥३३०॥ ............... ओभासिय पडिसिद्धो....॥५०२॥ .. | कुलए उ चउब्भागस्स...॥४॥ ................ ओमे संगमथेरा गच्छ....॥४५८।। .......... | कूडउवमाए केती...॥१३१॥ ................ ओयरंतं पयं दिटुं...॥५५६॥ ................ | केइ एक्कक्कनिसिं...॥४२॥................... ओरालग्गहणे तिरिक्ख...॥११३॥............ . २८ | केई भणंति पहिए....॥२१५|| .............. ओरालसरीराणं उद्दवण...॥११२॥ ........... | केलासभवणा एते....॥४८६॥ .............. ओहेण विभागेण य....॥२४१॥ ............ कोडीकरणं दुविहं उग्गमकोडी....॥४३१॥.... ओहो सुओवउत्तो...॥५६१॥ .. १३५ कोद्दवरालगगामे वसही....॥१८४॥ कंडिय तिगुणुक्कंडा तु....॥१९३।। .............. ४७ | कोल्लइरे वत्थव्वो दत्तो....॥४५७॥........... १०९ कक्कडिय-अंबगा वा....॥१९१॥........... कोवो वडवागभं....॥४७०॥................ कणग-रयतादियाणं जहेट्ट....॥४३६॥........ १०४ | खणमाणी आरभते मज्जइ...॥६२६॥......... १५० कत्तरि पओयणावेक्ख....॥४७६॥ ........... ११४ | खद्धे निद्धे य रुया....॥२१०॥ ................५१ कन्तामि ताव पेलं....॥३११॥................. ७७ | खमगादि कालकज्जादिएसु...॥६७॥ ............ १७ कप्पट्ठिग अप्पाहण...॥६१५॥ ............... खल्लग-मल्लग लेच्छारियाणि....॥२३२॥ ........ ५६ करमाण जेण भावेण.... २१ खीर-हि-जाउ-कट्टर..॥६६१||.. १५८ ।। १४७

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