Book Title: Pind Niryukti
Author(s): Jaysundarsuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 1
________________ श्रीमद् भद्रबाहुस्वामिप्रणीता सभाष्या याकिनीमहत्तरासूनु श्री हरिभद्रसूरिप्रारब्ध - श्री वीराचार्यपूर्णीकृतवृत्तिका पिण्डनिर्युक्तिः अहो जिनेहि अभा अहो जिनेर्हि असावज्ञास अही जिमेहि असावजा अभी जिनेदि असावजा जिणेहि असावजा "अहो जिरोहि अभा 'अहो जिनेहि असाचला निगेहिं अक्षा अही जिनेहि असावा सी जिनेहिला अहो जिनेहि सावजा प्रेरका : संघशासनकौशल्याधार पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय हि अस जयसुन्दरसूरीश्वराः

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