Book Title: Patan na Chaitya Sambandhi be Aprakat Krutio
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ जून - २०१२ केसर अने तेनी पुत्री जोइती तथा शिवचंद अने सारंग : प्रथम कृतिमा उल्लेखित आ स्त्रीओ कोण छे तेनी नोंध काव्यमां के वीरानी वंशावलीमां कशी ज मळती नथी. शिवचंद अने सारंगनो पण बीजी कृति सिवाय क्यांय उल्लेख मळतो नथी. प्रथम कृतिसार : आ कृतिनां शरुआतनां पद्योमां कविए शामळ पार्श्वनाथनी स्तुति करी छे. पाटणना ढण्ढेरवाडामां दोशी वीराए बनावेला ऊंचा चैत्यमा पूर्वे कुमारपाळ महाराजाना देरासरमां जे शामळपार्श्वनाथप्रभुनुं बिम्ब हतुं ते बिम्बनी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय ललितप्रभसूरि पासे करावी हती ते वात कवि पांचमा अने छठ्ठा श्लोकमां करे छे. विषमकाळमां म्लेच्छोथी भय पामी समयज्ञ पुरुषोए ते शामळपार्श्वनाथप्रभुनु बिम्ब उत्थाप्युं हतुं तेथी ते बिम्बनी पुनः प्रतिष्ठा वीराना ज वंशज दोशी तेजसीए भावप्रभसूरिजीनी तेमज सकल सङ्घनी साथे सं. १७७८ मां श्रावणमासनी चोथना सोमवारे कर्यानी नोंध अन्त्य त्रण पद्योमांथी मळे छे. द्वितीय कृतिसार : गुरुभगवंतना उपदेशथी कुमारपाळ महाराजाना देरासरनी चौमुख प्रतिमामांथी एक शामल पार्श्वनाथप्रभुनी प्रतिष्ठा दोशी वीराए जिनालय बनावी करी तेवी नोंध कवि प्रथम काव्यमां करे छे. अहीं चौमुखजीनो शब्दार्थ चार प्रतिमा, तो बाकीनी त्रण प्रतिमा अंगे शोध करवी घटे. बीजा कवितमां ढण्ढेरवाडाना वीर प्रभुना जिनालयनी नोंध करी छे. आठबीडोत्तरै नो सन्दर्भ बराबर समजातो नथी. ढण्ढेरवाडाना कलिकुण्डस्वामीना प्रासादना उद्धारनी सामान्य नोंध त्रीजा कवित्तमां छे. चोथा कवित्तमां वीराना सात चैत्यनी तेमज सं. १७७४ मां तेजसीए करावेल पित्तलमय सहस्रकूटनी (१०२४ भगवान) महत्त्वपूर्ण नोंध छे. 'कुंभारीइ' शब्द कुम्भारिया पाडा माटे वपरायो छे. छेल्ला कवित्तमां कविए कुम्भारिया पाडाना आदिनाथप्रभुना नवा चैत्यनी प्रतिष्ठानो संवत् (१६५६) तेमज प्रतिष्ठापकना कुटुम्बनो सामान्य परिचय आप्यो छे.

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