Book Title: Patan na Chaitya Sambandhi be Aprakat Krutio
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ जून - 2012 इन्दनन्दि गुरुस्वाध्याय तथा भास -- मुनिसुयशचन्द्र - सुजसचन्द्रविजयौ अहँ नमः एँ नमः प्रथमकृतिसारांश 'सज्झाय' ए प्राकृत शब्दनो गुजराती पर्याय एटले ज स्वाध्याय. प्रस्तुत कृति 'गुरुस्वाध्याय' ए नामनी ऐतिहासिक कृति छे. कृतिनां शरुआतनां पद्योमां कवि वीरप्रभुना प्रथम पट्टधर सुधर्मास्वामीथी पोताना प्रगुरु श्री इन्द्रनन्दिसूरिसुधीना आचार्योनी स्तुति करे छे. त्यार पछी 13 मी गाथाथी कविए इन्द्रनन्दिसूरिजीना जीवनचरित्रविषयक जन्म, दीक्षा, पदप्रदान, प्रतिष्ठादि प्रसङ्गोनुं रोचक शैलीमा वर्णन कर्यु छे. अन्त्य पद्योमा गुरुनी उपमा- अने पोतानी परम्परानुं वर्णन करी काव्य पूर्ण कर्यु छे. इन्द्रनन्दिसूरिनुं चरित्र : (प्रथम कृतिने आधारे) मरुधर (मारवाड) देशना पुरपाटणमां चम्पकशाह नामे व्यवहारीनी सीतादेवी नामे पत्नीनी कुखे सं. 1418 ना मागसर सुद ७ना दिवसे तेमनो जन्म थयो. जन्म महोत्सव करी तेमनुं देवराज ए प्रमाणे नाम करायुं. धर्मनी भावना वाळा तेमने सं. 1508 मां उदयनन्दिसूरिए ‘इन्द्रनन्दि' ए नाम आपी दीक्षित करी अभ्यासने माटे रत्नशेखरसूरिनी समयशाखामां थयेला मोटा तार्किक रत्नमण्डनसूरिना शिष्य सोमजयसूरि पासे अभ्यासार्थे मोकल्या. विद्याभ्यासनी तेमज चारित्रनी परिणतिवाळा मुनि इन्द्रनन्दिने सं. १५३०मां सिद्धपुरमां श्रीसोमजयसूरिए पोताना हाथे गणिपद आप्यु. सं. १५४१मां अमदावादना साणंद तथा सोनी अंबपता हरिचंदे पूज्यश्रीनी निश्रामां तीर्थनगरी इडरनो संघ काढ्यो. त्यां पूज्यश्रीए युगादिदेवने जुहारी गच्छनायक लक्ष्मीसागरसूरिने वन्दना करी. अहींथी संघपति हरिचंदे संघ काढ्यो. गच्छनायक लक्ष्मीसागरसूरि पण परिवार सहित पधार्या. विविध प्रकारना नाट्यादि खेलोथी अने दानादिथी शोभता ते अवसरे पूज्य इन्द्रनन्दि गणिने गणधर (आचार्य)पद अपायुं.

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