Book Title: Parshwanath ki Virasat
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Z_Darshan_aur_Chintan_Part_1_2_002661.pdf

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Page 19
________________ परिशिष्ट । तेरणं काले णं तेणं समए णं पासावचिज्जे कालासवे सियपुत्ते णामं अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति २ त्ता थेरे भगवंते एवं बयासी — थेरा सामाइयं ण जाणंति थेरा सामाइयस्स टू याति थेरा पञ्चक्खाणं ‍ या ंति थेरा पञ्चक्खाणस्स टूट गयाणंति, थेरा संजमं ण याणंति थेरा संजमस्स टं स याणंति, थेरा संवरं ण याांति थेरा संघरस्स ह विवेगं ण याणंति थेरा विवेगस्स ट्ठ ण याांति, येरा थेरा विउस्सग्गस्स अट्ठ ण याति ६ । तए गं ते घेरा पुतं णगारं एवं वयासी जागामो गं जो ! सामाइयं सामाइयस्स श्रद्ध' जाव जागामो गं जो ! विउस्सगस्स । तए गं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं व्यासी— जति खं जो ! तुमे जाराह सामाइयं जाणह सामाइयस्स अट्ठे जाव जागृह विउस्सग्गस्स अट्ठ, के भेजो ! सामाइए के जो सामाइयस्स ट्ठे जाव के भे विउस्सगस्स अट्ठे ? तए -ते थे भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी - आया. हे अज्जो ! सामाइए श्राया से अज्जो ! सामाइयस्स अट्ठे जाव विउस्सग्गस्स अट्ठे । एत्थ णं से कालासवेसियपुत्त अणगारे संबुद्धे थेरे भगवंते बंदति रामसति २ ता एवं क्यासी -- एएसि गं भंते! पयागं पुव्वि असणारण्याए श्रसक्रणयाए श्रोहियाए... णो रोइए इया िभंते ! एतेसिं पयाणं जाण्याए.... रोएमि एवमेयं से जहेयं तुब्मे वदह, तर से कालासवेसियपुत्त अणगारे थेरे भगवंते वंदइ नर्मसइ, वंदिता -नमंसित्ता चाउज्जामाग्री धम्मा पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्मं उवसंपज्जित्ता - विहरs | व्याख्याप्रज्ञप्ति शतक १ उद्देश ६ | सू० ७६ ते काले २ पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति २ समणस्स भगवश्रो महावीरस्स चदासी से नूरणं भंते ! असंखेज्जे लोए अंता रातिंदिया दूरसामंते ठिच्चा एवं उप्पज्जिसु वा उष्पज्जति वा उप्पज्जिस्संति वा विगच्छ्रिसु वा विगच्छंति वा विगच्छिस्संति वा परिता Jain Education International टूढं य याांति, धेरा विउस्सगं या यासंति भगवंतो कालासवेसियजाणामो गं जो ! For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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