Book Title: Parmatma Prakash
Author(s): Amrutlal M Zatakiya
Publisher: Vitrag Sat Sahitya Trust Bhavnagar

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Page 486
________________ परमात्मप्रकोशदोहादीनां वर्णानुक्रमसूची स. दो. नं. अ. दो. १६४ २-३८ ७६ १-७५ १७१ १७२ ३३३ ३३६ ७० २१ २-४२ २-४६ २-२०२ २-२०५ १-६९ १-२१ अच्छइ जित्तिउ अट्ट वि कम्मई अटुहं कम्महं अणु जइ जगह अण्णु जि तित्थु म अण्णु जि दंसणु अण्णु वि दोसु अण्णु वि दोसु अण्णु वि बंधु वि अण्णु वि भत्तिए अत्थि ण उन्भउ अत्थि ण पुण्णु अधुम्मी लियलोर्याहिं अप्पउ मण्णइ जो अप्पसहावि अप्पहं जे वि अप्पह णाणु अप्पा अप्पु जि अप्पा कम्मविवज्जियउ अप्पा गुणमउ अप्पा गुरु णवि अप्स गौरउ किण्हु अप्पा जणियउ केण अप्पा जोइय अप्पा झायहि अप्पा णाणहं गम्मु अप्पा णाणु मुणेहि अप्पा णियमणि अप्या तिधिहु स. दो नं. अ. दो. अप्पादंसणि अप्पा दंसणु केवलु १७ १-९६ अप्पा परहं ण ८८ २-१५७ अप्पा पंगुह अप्पा पंडिउ मुक्खु ९२ १-९१ अप्पा बंभणु बासु अप्पा बुज्झहि ५८ १-५८ अप्पा माणुसु देउ अप्पा मिल्लिवि २०४ २-७७ अप्पा मिल्लिविणाणमउ २०५ २-७८ अप्पा मेल्लिवि ७५ १-७४ अप्पा मेल्लिविणाण २८९ २-१५८ अप्पायत्त उ जं जि २८५ २-१५४ अप्पा लद्ध अप्पा बंदउ ८९ १-८८ अप्पा संजमु सीलु अप्पि अप्पु मुणंतु ७७ १-७६ अप्पु पयासह १०२ १-१०१ अप्पु वि परु धि १०४ १-१०३ अमणु अणिदिउ ३१ १-३१ अरि जिय जिणपइ २८४ २-१३४ अवगुणगहण ३१७ २-१८६ अंगइ सुहुमई २३० २-१०३ २२० २-९३ १०१ १-१०० १०७ १-१०६ २८६ २-१५५ ६८ १-६७ १५९ २-३३ इत्थु ण लेवउ पंडियाहिं इहु तणु जीवड इहु सिवसंगमु ३४२ २-१११ ३१३ २-१८२ २७३ २-१४२ १०८ १-०७ १०६ १-१०५ ९४ १-९८ १२ १-१२ उत्तमु सुक्खु ण उत्तमु सुक्खु ण १३१ १३२ २-५ २-७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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