Book Title: Parmatma Prakash
Author(s): Amrutlal M Zatakiya
Publisher: Vitrag Sat Sahitya Trust Bhavnagar

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Page 488
________________ जासु ण कोहुण जासु ण धारणु जासु ण वण्णु ण जिउ मिच्छत्ते जिण्णिं वथि जेम जित्थु ण इंदिय जिय अणुमित्त वि जीउ वि पुग्गलु जीउ सचेयं जीव म जाणहि जीव वहंतहं णरय जीवहं कम्मु अणाइ जीवहं तिहुयण जीव दंसणु णाणु जीवहं भेउ जि जीवहं मोक्खहं हेउ जीवहं लक्खणु जीवहं सो पर जीवाजीव म जीवा सयल वि जे जाया झाणग्गियपं जे जिणलिंगु धरेवि जेण कसाय हवंति जेण ण चिण्णउ स. दो. नं. अ. दो २० १-२० २२ १-२२ १९१-१९ जेण णिरंजणि जेण सरूवि झाइयइ जे णियबोह जे दिट्ठा सुरुग्गमणि जें दिट्ठे तुर्हति जे परमप्यपयासह जे परमप्यपयासु जे परमप्पहं भत्तियर जे परमणियंति जे भवदुक्खहं बीहिया जेम सहार्षि णिभ्मलउ जे रयणत्तउ Jain Education International દોહાસૂચિ ८० १-७९ ३१० २-१७९ २८ १-२८ २५० २-१२० १४८ २-२२ १४३ २-१७ २५३ २-१२३ २५७ २-१२७ ५९ १-५९ २२३ २-९६ २२८ २-१०१ २३३२-१०६ १३८ २-१२ २२५ २-९८ १३६ २-१० ३० १-३० २२४ २-९७ १ १-१ २१८२९१ १६८ २-४२ २६८ २-१३५ १२६ ३०४ २-१७३ ५३ १-५३ २६३ २ १३२ २७ १-२७ 67 ११२३३ ३३७ २-२०६ ३३५ २- २०४ ३३९ २–२०८ १-७ ३४५२-२०७ ३०८ २-१७७ १५८ २-३२ जे सरसिं संतुट्ठजेहउ जज्जरु णरयजेहउ णिम्मणु जो अणुमेत्तु जो आयासइ मणु जोइज्जइति जोइय अप्पें जोइय चिंति म जो णियदंसणजोइय नियमणि जोइय णेहु परिच्चयहि जोइय दुम्मइ कवुण जोइय देहु जोइय देहु जोइय मिल्लहि जोइय मोक्खु वि जोइय मोहु परिश्वयहि जोइय लोहु परिचयहि जोइय विसमी जोय - जोइय दिहिं जोइ सयलु वि जो जिउ हेउ अ. दो. स. दो. नं. २४२ २ १११ *७ २८० २-१४९ २६ १-२६ २०८ २-८१ जो जिणु केवलणाणजो णत्रि मण्णइ जो रात्रि मण्णइ जो णियकणहिं जो णियभाउ ण जो लिक्ख इं जो परमत्थे जो परमप्पड परमजो परमप्पा णाणमउ जो भत्तउ ग्यणत्तयहं जो भत्तउ रयणत्तयहं जो समभावपरिट्टिय जो समभावहं For Private & Personal Use Only ४७७ २९५ २-१६४ ११० १-१०९ १०० १-९९ ३१८ २-१८७ १८६ २-५९ १२० १-११९ २४५ २-११५ ३०२२-१७१ २८२ २-१५१ २८३२-१५२ ३०१ २-१७० १२८ २-२ २३८२-१११ २४३ २-११३ २६७ २-१३७ ३९ १-३९ २५९ २-१२९ १-४० ३२८ २-१९७ १८२ २-५५ २३२ २-१०५ ४५१-४५ १८ १-१८ २५३ २-१२२ ३७ १-३७ ३३१२-२०० ३०६ २-१७५, १५७ २-३१ २२२ २-९६ ३५ १-३५ २३६ २-१०९ ४० www.jainelibrary.org

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