Book Title: Parmatma Prakash
Author(s): Amrutlal M Zatakiya
Publisher: Vitrag Sat Sahitya Trust Bhavnagar

View full book text
Previous | Next

Page 495
________________ योगसारदोहादीनां वर्णानुक्रमसूची दोहा चउकसायलण्णारहिउ चउरासीलक्खहि किरिउ छह दव्य जे जिणकहिया अजर अमर गुणगणअप्पर अप्पु मुणतयहँ अप्पसरूवाँ (सहवा?) जो अप्पा अप्पइँ जो मुणा अप्पा अप्पउ जइ मुणहि अप्वादसणु एक्कु परु अप्पा दंसणु णाणु मुणि अरहंतु वि सो सिधु असरीरु वि सुसरीरु मुणि अह पुणु अप्पा णवि मुणहि आ आउ गला णवि मणु इक उपज्जा मरइ कु वि इच्छारहियउ तव करहि इंदफणिदणरिदिय वि इहु परियण णहु महुतणउ जइ जरमरणकरालियउ जइ णिम्मल अप्पा मुहि जइ णिम्मल अप्पा मुणहि जइ बद्धउ मुक्कउ मुणहि जइ बीहउ चउगइगमणा जइया मणु णिग्गंथु जिय जइ लोहम्मिय णियड बुह जइ सलिलेण ण लिप्पया जहिं अप्पा तर्हि सयलगुण जं घडमज्झह वीउ फुडु जाम ण भावहि जीव जिणु सुमिरहु जिणु जीवाजीवह भेउ जो जे णवि मणहि जीव जे परभाव चपधि मुणी जे सिद्धा जे सिज्झसिहि जेहउ जज्जरु णयरघरु जेहउ मणु विसयहँ रमइ जेहउ सुद्ध अयासु जिय जो अप्पा सुदधु वि। जो जिण सो हउ सो जो जिणु सो अप्पा मुणहु जो वि जाणइ अप्पु जो तइलोयहँ झेउ जिणु जो परमप्पा जो सो हउँ पक्कलउ इंदियरहिउ एक्कुलर जा जाइसिहि एव हि लक्खणलक्खियउ कालु, अणाइ अणाइ जिउ केवलणाणसहाउ सो को सुसमाहि करउ गिहिवाधारपरिट्ठया घाइचउक्कहँ किउ पिलर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 493 494 495 496 497 498 499 500