Book Title: Parashar Smruti Part 01
Author(s): Madhavacharya, Chandrakant Tarkalankar
Publisher: Asiatic Society

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्रीगणेशाय नमः। पराशरमाधवः। (माधवाचार्यश्चन थाख्या सहिता पराशरसंहिता ।) प्रथमोऽध्यायः । याचार-काण्डम् । (टीकाकारोपनामरिका ।) वागीशाद्याः सुमनमः सर्वार्थानामुपक्रमे । यं नत्वा कृतकृत्याः स्युस्तं नमामि गजाननम् ॥१॥ सोऽहं प्राप्य विवेक-तीर्थ-पदवीमावाय-तीर्थे परं मज्जन्, सज्जन-तीर्थ-सङ्ग-निपुण: * सदृत्त-तीर्थं श्रयन् । लब्धामाकलयन् प्रभाव-लहरीं श्रीभारती-तीर्थताविद्या-तीर्थमुपाश्रयन् हदि भजे श्रीकण्ठमव्याइतम् ॥२॥ सत्येक-व्रत-पालको विगुणधीत्यर्थी चतुर्वेदिता पञ्चकन्ध-कृती षड़न्वय-दृढ़ः सप्ताङ्ग-ससहः । अष्ट-व्यक्ति-कला-धरो नव-निधिः पुष्यद्दश-प्रत्यय: * सब्जनसङ्गतीर्थनिपुण, इति कालमाधवीये पाठः + अहव्यक्तिकृताधरी,-इति सो० दि० पुस्तके पाठः। अव्यक्तकला धरो, इति को प्र. पुस्तके पाठः । + पुष्पद्दशप्रत्ययः, इति से दि० पुस्तके पाठः । For Private And Personal

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