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हिराइदि द्वारा बादर समुदाय गतियां च मो प्रत्या बोध को। एतलेपन र सूत्रमा हा रंध समाप्ती का यहा स्वोघो को । हिवरको पा - सर्वध प्रवदड्रायादिसेा वचनयोग संपात गुएामाटात घी को गान गुण सा६ अनंतावा सतिनिघ।। ३४ काय काय योगानंतगुणा वनस्पति का आवा नागुण वा सितितिघास द्रोगावि से बाधिकानि बिंद्रा याविक वेतन ओगा माहि घालिक इति योगधारक विदधारकास सिम इकाइया पत्रासारखा पनवा. यापात्रगास सकवाद मानाजीवा
सिप्रनता
संज्ञानाति
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नेवा बजावाव सिकाग नत गुणामा
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