Book Title: Pannavana Sutra
Author(s): Shyamacharya,
Publisher: ZZZ Unknown
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मतराजा इसियामा णि याज दाखमा रारा गलत खादार किंचारलागनिद्यपि कृष्णा (लागनिद्या पत्रवणा त्रिखागनिद्यत्रिवि साग निवत्रिति मुरमाडा वावमा लिया नवरेप दिया गामा याला गनिद्यत्रिए) अणाला गनिद्यत्रिए २३या ऐसा पायाला हारनापतिष्टतित किजाएं। | तिपासेति चाहार तिर दाऊनयागविनयासति यदारितिया तिशापा संति श्राहारत। एवजावाa इंदियावन रि दिया। (गतिया शांतिपातिया दारतियचगतिया रायातितापास। ति आदारिति पनि दिय तिरिरकाजा शिया। गतियाड़ा ऐतियांसति श्राहारति।श खाद्यगतिगाडा (ए) तिशापासति हारितिश याग तियानडा तपास तदा। रतिगति या जागतिनयासेति यदातिम। साविवाणमंत राजा इसियाड दान र श्या ।वमा लियाएं। अशा गावगतिया जाएं तपासेतियाहारेति भातिया जातिया। पास तिच्या दारति॥साकए। सातवे चेति वमाणि याधिगतिया जाणातिपासति। आदारिति गतियाणयास तिया। तिचा हा रिति।गायमाघमा गियाडविहाना। तेजदा माइमिना माइसम्म २६३
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