Book Title: Panchsutrakam
Author(s): Bhuvanchandra, Kirtiratnavijay, Dharmkirtivijay, Kalyankirtivijay
Publisher: Bhadrankaroday Shikshan Trust
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सुस्वागतम्
प्रपञ्चसूत्रे परितः प्रवृत्तान् पूज्यान् प्रणम्य प्रतिवेदयामि । श्रीपञ्चसूत्रं किल हारिभद्रं सेव्यं यदीच्छाऽऽत्महिते समस्ति ॥१॥ एतस्य भाषान्तरकर्म चारु निष्पादितं श्रीभुवनाद्यचन्द्रैः । पद्यात्मकस्याऽस्य मुदा करोमि सुस्वागतं सूत्रविबोधकस्य ॥२॥ प्रकाश्यते सूत्रमिदं पवित्रं कीर्तित्रयेणाऽद्य मनोज्ञचित्रम् । स्वाध्याय एतस्य समस्तसङ्के तनोतु सर्वत्र सुखं विचित्रम् ॥३॥
-विजयशीलचन्द्ररिः ।
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