Book Title: Panchsutrakam
Author(s): Bhuvanchandra, Kirtiratnavijay, Dharmkirtivijay, Kalyankirtivijay
Publisher: Bhadrankaroday Shikshan Trust
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संजोगो विओगकारणं, अफलं फलमेयाओ, विणिवायपरंखुतं, बहुमयं मोहाओ अबुहाणं, जमेत्तो विवज्जओ, तओ अणत्था अपज्जवसिया। एस भावरिपू परे अओ वुत्ते उ भगवया। नागासेण जोगो एयस्स । से सरूवसंठिए । नागासमण्णत्थ, न सत्ता सदंतरमुवेइ । अचिंतमेयं केवलिगम्मं तत्तं । निच्छयमयमेयं । विजोगवं च जोगो त्ति न एस जोगो, भिण्णं लक्खणमेयस्स । न एत्थावेक्खा,
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