Book Title: Panchashati Prabodh Sambandh Author(s): Mrugendravijay Publisher: Suvasit Sahitya PrakashanPage 11
________________ ( २ ) शुभशील गणिनी लगभग प्रत्येक कृति १६ मा शतका पूर्वार्धमा रचाई छे. प्रस्तुत ग्रंथनी रचना वि० सं० १५२१ मा थई छे ग्रंथकारे ग्रंथनी प्रशस्तिमां रचना समय साथै पोतानो नामोल्लेख पण कर्यो छे विक्रमाद् विधु -द्वीषु चन्द्र ( १५२१ ) प्रमितवत्सरे । अमुं व्यधात प्रबन्धं तु, शुभशीलाऽभिधो बुधः ॥ अथ स्पष्ट छे शुभशीलगणिनो अन्य कृतिकलापः (१) विक्रमादित्य चरित्र - वि० सं० १४९९ ( अथवा १४६० ) आ कृति प्रकाशित छे. (२) भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति ( कथाकोश ) - वि० सं० १५०२, 'भरतेश्वर बाहुबलि ' नामक प्राचीन बज्झाय उपरनी आ कथा-रचना छे, ओमा ५३ महापुरुषो अने ४७ सन्नारीमोनी कथाओ जीवन-वृत्तान्तो रजू थयो छे. या कृति दे० ला• जै० पुस्तकोद्धारक संस्था सूरतथी प्रकाशित थइ छे. ( पृ० ३५२ ) (३) शत्रुञ्जय - कल्पवृत्ति - वि० सं० १५१८ आ० धर्मघोषसूरिरचित ( ? ) आ प्राचीन रचना छे, तेनी उपर शुभशीलगणिए १२५०० श्लोक प्रमाण वृति रची है. शत्रुंजयकथाकोश, शत्रुंजयकल्पकथा, तेमज शत्रुंजय बृहत्कल्पना नामथी पण आवृत्ति प्रचलित छे. अने प्रकाशित छे. (४) भोज - प्रबन्ध - लगभग ३७०० श्लोक प्रमाणनो आ रचना छे. राजा भोज बिषे अकंदरे ६ भोजप्रबन्धो अने १ भोजचरित्र रचाया छे (५) प्रभविक - कथा - वि० सं० १५०४. आ कृतिमा शुभशील गणिए पोताना छ गुरुभ्राताभना नामनो उल्लेख कर्यो छे. ते आ मुजब छे-उदयनन्दि, चारित्ररत्न, रत्नशेखर, लक्ष्मीसागर, विशालराज अने सोमदेव. (६) शालिवाहनचरित - वि० सं० १५४०. आ कृति १८०० लोक प्रमाण छे. (७) पुण्यधन नृपकथा-- वि० सं० १४९६ | (८) पुण्यसार कथा -- १३११ श्लोक प्रमाण रचना छे, 'जिनरत्नकोश'मा जणाव्याप्रमाणे 'महावीर जैन सभा' तरफथी सन् १९९९ मा प्रसिद्ध यह छे अने आज कृति ते पुण्यधनचरित्र छे, ओम जि० २० कोशमा निर्देश करायो छे. अने ते संभवित छे. आ उपरान्त 'पुण्यसार' उपर अन्य व्रण कृतिओ पण रचाई छे. ते नीचे मुजब छे'पुण्याकथानक' वि० सं १३३४, कर्ता - विवेकसमुद्र. पुण्यसारचरित्र-कर्ता भावचन्द्र. पुण्यस्मारकथा - अजितप्रभसूरि. "Aho Shrutgyanam"Page Navigation
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