Book Title: Panchashati Prabodh Sambandh Author(s): Mrugendravijay Publisher: Suvasit Sahitya PrakashanPage 22
________________ [१३] उद्वलिता २४६-२० उद्वस उन्दिर उपलक्ष् उपवरक उल्लोचन ऊर्वस्थितः सोलगा सगरी ( सरसावो हिं० डबरी, सं० उद्+वृ०, प्रा० उ०वर } उजड़ ऊंदर बोळखवू ओरडो उल्लोष, चंदरबो, छत ऊभो ऊमो कचोल कचोलक काचे कचोळ काछडो कछड़क कच्छडक कणवीर कण्ठ कण्डक कपिशीर्ष कपिशीर्ष ३२-५ ३०५-२३, २४ ३०-२२, २६३-१ २१५-१० ३४८-२७ १०-३ २३४-२४ ११-२४ १४७-१०१ २९१-२५ २११-२४॥ २५६-१७ २५३-१० ३०९-१३, ३३०-१२ २४३-१, ३. ५ ९६-२ ३१२-२७ २५३.१० २१३-७, २१६-३, २.२१ १४४-२. २०८-३० २४१-३ ४ २५-३, ९४.१७, १६८-२१, १८५-१०, २३२-७ ३४६.२९.३० ४-५, १७०-२३ ८४-१२, १७९-१८ ५५ ४ १०१-३०, १०२-१९ २७-६ ९ १९४-२, ३१२-७ १२९ १७ कणेर, करेण कांठो तावीज, मादस्युिं (प्रा० कंडय) फणसलु कांगरो, कोशीशु कांब, कामडी, सोटी, न्याय. न्यायाधीश कांकरो कांत देवळना चणतरनु काम (?) करणवार, करणवारकारक ककर कत् कर्नाटक कलंदर कल्ये कन्हरी काका कागद कालिक काढ फकीर (अरबी) आवती काले कालरी, घासनी गंजी काका कागळ ( फारसी) कालियो "Aho Shrutgyanam"Page Navigation
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